मनोयोग से सुनो सुनो
हे सीता जनक सुजाता, ध्यान लगा कर सुनो सुनो हे सीता जनक सुजाता
हरी अनंत हरी कथा
अनंता में सक्षिप्त सुनाता
कथा यह जग कल्याणी है
कथा यह जग कल्याणी है, नायक रजा श्री राम नायिका सीता रानी है
प्राण प्रिय दोनों
मेरे हैं प्राण प्रिय दोनों मेरे हैं, (दुःख संकट हरने वालों को अभी संकट घेरे
हैं-2)
श्री राम अयोध्या
में प्रगटे, मिथला में प्रगटी देवी सिया, सीता की भगनिया तीन राम ने, तीन भ्रात
संग जनम लिया
आये प्रभु सिया
स्वयबर में, और शिव के धनुष को तोड़ दिया, दशरथ नंदन ने जनक नंदिनी का शुभ पानीब
ग्रहण किया
लक्ष्मी नारायण का
जोड़ा सीता राम कहाता-2 हरी अनंत हरी कथा
अनंता में सक्षिप्त सुनाता
हर्ष से भरी राजधानी हर्ष से भरी राजधानी, की तीन तीन
सासुओं चार वधुओ की अगुवानी
रंग भरे दिन हैं
सुखदाई प्रेम भरे दिन हैं सुखदाई, (उत्सव का वातावरण मांगलिक बाजे शहनाई-2)
सुख के रंग फीके पड़े विघ्ना हो गई वाम, सुख के दिन फीके
पड़े विघ्ना हो गई वाम
बहुत दिनों आनंद से
रह ना सके सिया राम,
राम जो था सबका
प्यारा, कैकई को सबसे प्यारा, (बनबास दियाला उसे पिता श्री दशरथ के द्वारा-2)
पिता के वचन निभाने
को, पिता के वचन निभाने को, चले राम लखन सिया संग विपिन में कष्ट उठाने को
भगवान भगवती चले विपिन
में कष्ट उठाने को
प्रभु चित्रकूट में वास किया, तदनंतर पहुंचे पंचवटी,
यहाँ सूर्पनखा मधुमाती की लक्ष्मण के हाथों नाक कटी
छल से सीता का करके
हरण, लंका लाया रावण कपटी, देखोगी शीघ्र तुम धरती से, रावण नामक आपदा हटी
देत्य दमन को राघव का
अवतार हुआ है माता, खल खंडन को राघव का अवतार हुआ है माता
हरी अनंत हरी कथा
अनंता में सक्षिप्त सुनाता
राम का दूत मुझे
जानो, नाथ का दास मुझे जानो, मुद्रिका राम जी ने भेजी लो मैया पहचानो
मुद्रिका भेद ये
कहती है, मुद्रिका भेद ये कहती है, (रघुवर के ह्रदय में, सिया प्रेम की गंगा बहती
है-2)
आया हूँ में छोड़कर,
सेना सगर पीर, आया हूँ में छोड़कर, सेना सगर पीर, शीघ्र यहाँ दल-बल सहित आएँगी
रघुवीर
बोझ धरती का हटायेगे
त्रास देवो का मिटायेगे, कर रावण का वध तुम्हे, संग प्रभु लेकर जायेंगे
रावण को देकर मुक्ति,
मुक्त प्रभु तुम्हे कराएँगे
ह्रदय में धीर धरो
मैया, ह्रदय में धीर धरो मैया, प्रभु और प्रभु जी के सेवक पर विश्वास करो मैया
श्री राम और हनुमान
पे तुम विश्वास करो मैया
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