मेरे लक्ष्मण मेरे प्राण प्यारे खोल अंखिया की भैया पुकारे-2
लाडले ये अयोध्या नहीं है, (कोई लंका में अपना नहीं है-2)
तू समर बीच क्यों सो गया रे, खोल अंखिया की भैया पुकारे
तुझको बनवास में संग लाया, (रण में झोंका असुर से
लड़ाया-2)
दोष अक्षम्य हैं मेरे सरे, खोल अंखिया की भैया पुकारे
है पवनसुत की प्रतिपल
प्रतीक्षा,
(ये
मेरे धेर्य की है परीक्षा-2)
सूर्य आकर डुबो दे ना तारे, खोल अंखिया की भैया पुकारे
मेरे लक्ष्मण मेरे प्राण प्यारे खोल अंखिया की भैया पुकारे
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