जीवन के इस महादर्शन
से मुख नहीं मोड़ा जाये हो, मृत्यु तो हे ध्रुव सत्य में हर मृतक यही समझाए हो
जीवन के इस महादर्शन
से मुख नहीं मोड़ा जाये हो
कितने दिन तक दशरथ का तन तेल में रखा डुबाये हो, चार
पुत्र पर एक निकट नहीं सदगति कोन कराये हो
मृत्यु तो हे ध्रुव
सत्य में हर मृतक यही समझाए हो, जीवन के इस महादर्शन से मुख नहीं मोड़ा जाये हो
चार दिशा में विजय पताका जो राजन फेहराये हो, काल से हारके यू सोये फिर जागे नहीं जगाये हो
मृत्यु तो हे ध्रुव
सत्य में हर मृतक यही समझाए हो, जीवन के इस महादर्शन से मुख नहीं मोड़ा जाये हो
कुटुंब कबीला मृतक से ऐसे, अपना नेह निभाए हो, पहले
जलाकर भस्म करे फिर, जल में भस्म बहाए हो
मृत्यु तो हे ध्रुव
सत्य में हर मृतक यही समझाए हो, जीवन के इस महादर्शन से मुख नहीं मोड़ा जाये हो
जिव तो जग में आये जाये विधि का लिखा निभाए हो,
आत्मा के संग धर्म चले और कर्म ही अमर बनाये हो
मृत्यु तो हे ध्रुव
सत्य में हर मृतक यही समझाए हो, जीवन के इस महादर्शन से मुख नहीं मोड़ा जाये हो
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