राज गद्दी
विराजे रजा राम जी संग सोहे सिया महारानी-2
अनुपम शास्वत अविनव प्राकृत-2 जोड़ी
सरस सुहानी सुहानी
राज गद्दी
विराजे रजा राम जी संग सोहे सिया महारानी-2
सब धरम
मार्ग पर चलते, सुभ संस्कारों में ढलते, जन
जलते नहीं परस्पर,
सदभाव के दीपक जलते, सपने में भी
कोई किसी को,
सपने में भी कोई किसी को नहीं पहुंचता
हानि रे हानि
राज गद्दी
विराजे रजा राम जी संग सोहे सिया महारानी-2
गज सिंघ
हिरन गउओ के संग, जल एक घाट पर पीते हैं,
स्वभाविक बैर
भुलाकर सब, रामाश्रित होकर जीते हैं
एक प्रभु से
अनुप्राणित हैं, एक प्रभु से अनुप्राणित हैं, जग
के सरे प्राणी रे प्राणी
राज गद्दी
विराजे रजा राम जी संग सोहे सिया महारानी-2
पतियों पर
नारियां समर्पित, पुरुष हैं इक पत्नी व्रत धारी,
त्रेता सतयुग
का रूपांतर, सब परमार्थी वेदआचारी
धन धान्य से पूरित वसुधा, धन
जब मांगो जल देते,
छे ऋतू के फल
दे तरुवर, प्रभु बिन मांगे फल देते
बस अभाव का
ही अभाव है, बस अभाव का ही अभाव है,
शिव कहें सुनो शिवानी शिवानी
राज गद्दी
विराजे रजा राम जी संग सोहे सिया महारानी-2
कोई दीन
हो तो कहे दीन बन्धु, हो अनाथ तो दीनानाथ कहें,
करुणा सागर कहें भगवन को, यदि
किसी नयन से अश्रु बहे,
पूर्व
पदवियों से नही प्रभु की, पूर्व पदवियों से नही प्रभु की,
महिमा जाये
बखानी बखानी
राज गद्दी
विराजे रजा राम जी संग सोहे सिया महारानी-2
(अनुपम
शास्वत अविनव प्राकृत-2) जोड़ी सरस सुहानी सुहानी
राज गद्दी
विराजे रजा राम जी संग सोहे सिया महारानी-2
शाम काम आये
वहां जहाँ अज्ञानी होए, दाम जिसे दें जब फिर धनरा ना कोई,
दंड जो केवल
रह गया, सन्यासी के हाथ, राजा
राम की जय
Saam aaye kaam vaha jaha agyani ho
ReplyDeleteDaam kise deh jab nirdhan raha na koi