Saturday, May 14, 2022

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

बाग़ में जा खड़ी कि खड़ी रह गई-२

राम देखे सिया को माँ सिया राम को-२,

चारों अँखियाँ लड़ी कि लड़ी रह गई-२

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

बाग़ में जा खड़ी कि खड़ी रह गई

थे जनकपुर गये देखने के लिए-२

सारी सखियाँ झरोखन से देखन लगी-२

देखते ही नजर मिल गई दोनों की-२

जो जहाँ थी खड़ी कि खड़ी रह गई

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

बाग़ में जा खड़ी कि खड़ी रह गई-२

राम देखे सिया को सिया राम को-२,

दोनों अँखियाँ लड़ी कि लड़ी रह गई-२, राम को देखकर

बोली है इक सखी राम को देखकर-२,

रच दिये हैं विधाता ने जोड़ी सोहत-२

पर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर-२

शर्म शंका बनी कि बनी रह गई-२

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

बाग़ में जा खड़ी कि खड़ी रह गई-२

राम देखे सिया को सिया राम को-२,

दोनों अँखियाँ लड़ी कि लड़ी रह गई-२, राम को देखकर

बोली दूजी सखी छोट देखन में है-२

पर चमत्कार इनका नहीं जानती-२

एक ही बाण में ताडीका रक्षशी-२

उठ सकी ना पड़ी कि पड़ी रह गई

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

बाग़ में जा खड़ी कि खड़ी रह गई-२

राम देखे सिया को सिया राम को-२,

दोनों अँखियाँ लड़ी कि लड़ी रह गई-२, राम को देखकर


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