Sunday, May 29, 2022

बटेऊ जाने वाले श्री राम प्रभु के रखवाले

राम जय जय राम श्री राम जय जय राम मैं तो राम ही राम पुकारू

श्री राम नही मोरे सुध लिनी, में तो कबसे राह निहारूं

राम जय जय ............. श्री राम नही.................

राम जय जय .................

बटेऊ जाने वाले, श्री राम प्रभु के मतवाले
तू राम नाम रस पीले, तन मन की प्यास बुझा ले 
कपि के कानों में पड़ा, राम नाम जय राम
उत्तरे हनुमत जान कर, राम भक्त का धाम 
संवाद
मेघनाथ ने शक्ति मारी है, तेरा राम बड़ा दुखारी है होंओ.....  तुझे एक वैद्य ने पटाया है, तू संजीवनी लेने आया है
किथे से आवे किथे को जावे-2  बाबा ने शब डेरा रे 
जानू है बड़ी दूर बटेऊ करले रेन बसेरा रे -2

यही भगवान की आज्ञा है, तू आज यहीं विश्राम करे 
तू क्यों चिंता करता है, (जो करना है सो राम करे-2)
राम लखन के जीवन में-2 कभी होगा नहीं अंधेरा रे 
जानू है बड़ी दूर बटेऊ करले रेन बसेरा रे-2

तुझे भूख प्यास नहीं लागे, मैं ऐसा मंत्र बता दूंगा 
तुझे जिस पर्वत पे जाना, मैं पल भर में पहुंचा दूंगा  
स्नान ध्यान करके तू आजा-2 तोहे बनालू चेरा रे
जानु है बड़ी दूर बटेऊ करले रेन बसेरा रे-2

भ्रांती मिटाने के लिए, करन गए कपि स्नान
मगरमच्छ के जाल में, उलझ गए हनुमान
श्री राम जय जय राम श्री राम जय जय राम मैं तो राम ही राम पुकारू राम नहीं सुधरी नी में कब से राह निहारू

Tuesday, May 24, 2022

रघुराई हे रघुराई, रघुराई हे रघुराई पग धोकर नाव चढ़इ हो, पग धोकर नाव चढ़इ हो

रघुराई हे रघुराई 
रघुराई हे रघुराई 
पग
 धोकर नाव चढ़इ हो
पग धोकर नाव चढ़इ हो
पग धोकर नाव चढ़इ हो
बिन
 पग धोए सुन मोरे राजा 
बिन पग धोए सुन मोरे राजा 
बिन पग धोए सुन दाता नहीं
गंगा
 पार करइ हो 
गंगा पार करइ हो 
पग धोकर नाव चढ़इ हो
पग
 धोकर नाव चढ़इ हो
पग धोकर नाव चढ़इ हो
 
तब चरनन की महिमा न्यारी 
परस पाय पातर भयो नारी
मोरी नैया काठ की नैया 
मोरी नैया काठ की नैया 
ये बेचारी काठ की नैया
सगरे कुटुंब की पालन हारी यही 
सगरे कुटुंब की पालन हारी यही 
सगरे कुटुंब की पालन हारी
नौका से ये नार भयी तो 
नौका से ये नार भयी तो 
नौका से ये नार भयी तो
कीति जइहो काह खइ हो 
कीति जइहो काह खइ हो 
नहीं यो नहीं नाव चढ़इ हो
पग धोकर नाव चढ़इ हो
पग धोकर नाव चढ़इ हो
 
कृपा सिंधु बोले मुसकाई 
सोइ करु जेही तव नाव  जाई
संगीत..............१२३
बेगिआ नू जल पाये पखारू 
होत बिलंब उतारही पारू
संगीत..............१२३
अति आनंद उमगी अनुरागा 
चरन सरोज पखारन लागा
 
वर्ष सुमन सुर सकल सिहाही 
येहि सम पुण्य पुंज को नाही
येहि
 सम पुण्य पुंज को नाही
येहि सम पुण्य पुंज को नाही
चरणामृत के पान कीये ते 
चरणामृत के पान कीये ते
कछुक
 भरो सो पइहो 
कछुक भरो सो पइहो 
अब निर्भय नाव चढ़इ हो
अब
 निर्भय नाव चढ़इ हो
अब निर्भय नाव चढ़इ हो
 
केवट रे बड़भागी तोरी नैया 
बड़भागी तोरी नैया
आज
 तोरी नैया में विराजै 
आज तोरी नैया में विराजै 
भव सागर के खिवैया
बड़भागी
 तोरी नैया
बड़भागी तोरी नैया
 
धोबी से धोबी  लेत धुलाई 
नाई से कछु लेत  नाई
तुम भी केवट मैं भी केवट 
तुम भी केवट मैं भी केवट
कैसे तुमसे लूं उतराई
कैसे तुमसे लूं उतराई
संगीत..............१२३
हो कर दीजो भव पार प्रभु मोहे 
कर दीजो भव पार प्रभु जब
घाट
 तिहारे जईहो 
घाट तिहारे जईहो 
अभी उतराई नहीं लइ हो
अभी
 उतराई नहीं लइ हो 
अभी उतराई नहीं लइ हो 
मैं तो उतराई तभी लइ हो


SONG LINK:
 

Saturday, May 14, 2022

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

बाग़ में जा खड़ी कि खड़ी रह गई-२

राम देखे सिया को माँ सिया राम को-२,

चारों अँखियाँ लड़ी कि लड़ी रह गई-२

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

बाग़ में जा खड़ी कि खड़ी रह गई

थे जनकपुर गये देखने के लिए-२

सारी सखियाँ झरोखन से देखन लगी-२

देखते ही नजर मिल गई दोनों की-२

जो जहाँ थी खड़ी कि खड़ी रह गई

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

बाग़ में जा खड़ी कि खड़ी रह गई-२

राम देखे सिया को सिया राम को-२,

दोनों अँखियाँ लड़ी कि लड़ी रह गई-२, राम को देखकर

बोली है इक सखी राम को देखकर-२,

रच दिये हैं विधाता ने जोड़ी सोहत-२

पर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर-२

शर्म शंका बनी कि बनी रह गई-२

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

बाग़ में जा खड़ी कि खड़ी रह गई-२

राम देखे सिया को सिया राम को-२,

दोनों अँखियाँ लड़ी कि लड़ी रह गई-२, राम को देखकर

बोली दूजी सखी छोट देखन में है-२

पर चमत्कार इनका नहीं जानती-२

एक ही बाण में ताडीका रक्षशी-२

उठ सकी ना पड़ी कि पड़ी रह गई

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी

बाग़ में जा खड़ी कि खड़ी रह गई-२

राम देखे सिया को सिया राम को-२,

दोनों अँखियाँ लड़ी कि लड़ी रह गई-२, राम को देखकर