Wednesday, September 20, 2023

कलयुग बैठा मार कुंडली जाँऊ तो में कहाँ जाँऊ

 
कलयुग बैठा मार कुंडली जाँऊ तो में कहाँ जाँऊ
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
कलयुग बैठा मार कुंडली जाँऊ तो में कहाँ जाँऊ
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
कलयुग बैठा मार कुंडली जाँऊ तो में कहाँ जाँऊ
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
 
दशरथ कौशल्या जैसे मातपिता अब भी मिल जाये
पर राम सा पुत्र मिले ना जो आज्ञा ले वन जाये
दशरथ कौशल्या जैसे मातपिता अब भी मिल जाये
पर राम सा पुत्र मिले ना जो आज्ञा ले वन जाये
भरत लखन से भाई को अब ढूंढ कहाँ से में लाऊँ
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
कलयुग बैठा मार कुंडली जाँऊ तो में कहाँ जाँऊ
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
 
जिसे समझते हो तुम अपना जड़े खोदता आज वोही
रामायण की बातें लगती जैसे हो सपना कोई
जिसे समझते हो तुम अपना जड़े खोदता आज वोही
रामायण की बातें लगती जैसे हो सपना कोई
तब थी दासी एक मंथरा आज वोही घर घर पाऊँ
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
कलयुग बैठा मार कुंडली जाँऊ तो में कहाँ जाँऊ
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
 
लूट रहे बगिया को देखो खुद ही इसके रखवाले
अपने घर की नीव खोदते देखे मेने घरवाले
लूट रहे बगिया को देखो खुद ही उसके रखवाले
अपने घर की नीव खोदते देखे मेने घरवाले
तब था घर का एक ही भेदी आज वोही घर घर पाऊं
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
कलयुग बैठा मार कुंडली जाँऊ तो में कहाँ जाँऊ
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
 
आज दास का धर्म बना है मालिक से तकरार करे
सेवा कर्म तो दूर रहा वो वक्त पड़े तो वार करे
आज दास का धर्म बना है मालिक से तकरार करे
सेवा कर्म तो दूर रहा वो वक्त पड़े तो वार करे
हनुमान सा दास दूसरा आज कहाँ से में पाऊं
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
कलयुग बैठा मार कुंडली जाँऊ तो में कहाँ जाँऊ
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
कलयुग बैठा मार कुंडली जाँऊ तो में कहाँ जाँऊ
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
कलयुग बैठा मार कुंडली जाँऊ तो में कहाँ जाँऊ
अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊँ
इतने राम कहाँ से लाऊँ


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