Monday, January 30, 2023

भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी

 

भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी
हरषित महतारी मुनिमन हारी अद्भुत रूप निहारी
लोचन अभिरामा तन घनस्यामा निज आयुध भुज चारी
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता
माया गुन ग्याना तीत अमाना वेद पुरान भनंता
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रकट श्रीकंता
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर रहै
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना

सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना

होइ बालक सुरभूपा
यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते परहिं भवकूपा

यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते परहिं भवकूपा

यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते परहिं भवकूपा
बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार

निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पा