Sunday, July 17, 2022

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन


श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्

नवकंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कन्जारुणम

श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम

पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्

श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम

भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्

रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्

श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारू उदार अंग विभुषणं

आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर दुषणं

श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्

मम् हृदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्

श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरों

करुणा निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो

श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम

एही भांती गौरी असीस सुनि सिय सहित हिय हरषी अली

तुलसी भवानी पूजि पूनि पूनि मुदित मन मंदिर चली

श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि

मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे

सियावर रामचंद्र की जय

उमापति महादेव की जय

पवनसुत हनुमान की जय

बोलो रे भाई सब संतन की जय

 


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