अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,-२
तो हम कैसे, भव से, लगेंगे किनारे
पतितो को पावन, हैं करते कृपानिधि-२
पतितो को पावन, हैं करते कृपानिधि-२
किए पाप, है इस, सुयश के सहारे
अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे
हमारे लिए क्यों, देर किए हो-4
हमारे लिए क्यों, देर किए हो-२
गणिका, अजामिल, को पल भर मे तारे
अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे-२
ये माना
अधम है, अपावन कुटिल है-4
ये माना अधम है, अपावन कुटिल है-२
सबकुछ है, लेकिन है, भगवन तुम्हारे,
अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे-२
मन
होगा निर्मल, तुम्हारी कृपा से-4
मन होगा निर्मल, तुम्हारी कृपा से-२
मन होगा निर्मल तुम्हारी कृपा से
इसे शुद्ध, करने मे, राजेश हारे
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे
तो हम कैसे, भव से, लगेंगे किनारे
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे-4