Wednesday, August 17, 2022

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,-२

तो हम कैसे, भव से, लगेंगे किनारे

 

पतितो को पावन, हैं करते कृपानिधि-२

पतितो को पावन, हैं करते कृपानिधि-२

किए पाप, है इस, सुयश के सहारे

अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,

तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे

 

हमारे लिए क्यों, देर किए हो-4

हमारे लिए क्यों, देर किए हो-२

गणिका, अजामिल, को पल भर मे तारे

अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे-२

 

ये माना अधम है, अपावन कुटिल है-4

ये माना अधम है, अपावन कुटिल है-२

सबकुछ है, लेकिन है, भगवन तुम्हारे,

अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे-२

 

मन होगा निर्मल, तुम्हारी कृपा से-4

मन होगा निर्मल, तुम्हारी कृपा से-२

मन होगा निर्मल तुम्हारी कृपा से 

इसे शुद्ध, करने मे, राजेश हारे

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे

तो हम कैसे, भव से, लगेंगे किनारे

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे-4


सब देव चले, महादेव चले महादेव चले

सब देव चले, महादेव चले, महादेव चले
ले ले फूलन के, हार रे, आओ राघव साँवरिया
ले ले फूलन के, हार रे, आओ राघव साँवरिया
सब...........................................................
ले..............................................................
 
शिव शंकर ने आगे बढ़कर, अपना डमरू बजाया-२
गन्धर्वों ने ताल मिला कर, प्रभु की स्तुति गाया-२
सब हरष रहे, सब हरष रहे, मेघ बरस रहे
अमृत की सरस फुहार रे, आओ राघव साँवरिया
सब...........................................................
ले..............................................................
 

नौमि तिथि मधुमास पुनीता, शुक्ल पक्ष  हरी प्रीता-२
मध्य दिवस अति शीत  धामा, सकल काल विश्राम-२
ब्रम्हा वेद पढ़ें सुर यान चढ़ें, सुर यान चढ़ें
मध्य दिवस अति शीत  धामा, सकल काल विश्राम-२
ब्रम्हा वेद पढ़ें सुर यान चढ़ें, सुर यान चढ़ें
फूलन की करें बौछार रे, आओ राघव साँवरिया
सब...........................................................
ले..............................................................


जो लगन गृह वार तिथि, अनुकूल वो सब आई-२
मनि आरे पर्वत सब महि, सोलह श्रृंगार कर छायी-२
कल्याण मूल मिले, दोउ कुल मिले, दोउ कुल मिले
सरयू बढ़ गयी अपार रे, आओ राघव साँवरिया

सब...........................................................
ले..............................................................

Tuesday, August 16, 2022

तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे बलिहार राघव जी

तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
 
तेरे बाल बड़े घुंघराले बादल हों कारे कारे
तेरे बाल बड़े घुंघराले बादल हों कारे कारे
तेरे बाल बड़े घुंघराले बादल हों कारे कारे
तेरे बाल बड़े घुंघराले बादल हों कारे कारे
तेरी पाओं कि पेजनिया पे
तेरी पाओं कि पेजनिया पे
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
तेरी मंद मंद मुस्कनीया पे
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
तेरी मंद मंद मुस्कनीया पे
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
 
तेरे नयन बड़े कजरारे लगते हैं प्यारे प्यारे
तेरे नयन बड़े कजरारे लगते हैं प्यारे प्यारे
तेरे नयन बड़े कजरारे लगते हैं प्यारे प्यारे
तेरे नयन बड़े कजरारे लगते हैं प्यारे प्यारे
तेरी मधुर मधुर मुस्कनिया पे
तेरी मधुर मधुर मुस्कनिया पे
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
तेरी मंद मंद मुस्कनीया पे
बलिहार राघव जी  बलिहार राघव जी
तेरी मंद मंद मुस्कनीया पे
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
 
तेरे संग में सिया सुकुमारी लगती हैं प्यारी प्यारी
तेरे संग में सिया सुकुमारी लगती हैं प्यारी प्यारी
तेरे संग में सिया सुकुमारी लगती हैं प्यारी प्यारी
तेरे संग में सिया सुकुमारी लगती हैं प्यारी प्यारी
इस जुगल जोड़ी पर जाऊं में
इस जुगल जोड़ी पर जाऊं में
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
तेरी मंद मंद मुस्कनीया पे
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
तेरी मंद मंद मुस्कनीया पे
तेरी मंद मंद मुस्कनीया पे
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
बलिहार राघव जी बलिहार राघव जी
 
 
 
SONG LINK:
https://www.youtube.com/watch?v=9fzR-tNs__Q

 
KARAOKE LINK:
https://youtu.be/b5_d2bOOiBo 
 

Wednesday, August 10, 2022

भजमन भजमन राम चरण सुखदाई

भजमन भजमन राम चरण सुखदाई-२
राम  चरण सुखदाई भजमन-२
भजमन भजमन राम चरण सुखदाई-२


जेहि  चरणन से निकसी सुरसरि, शंकर जटा समाई-२
जटासंकरी नाम पयो है-२, त्रिभुवन तारन आई, भजमन
भजमन भजमन राम चरण सुखदाई-२

 

जिन चरणन कि चरण पादुका, भरत रहियो लव लाइ-२
सोई चरण, केवट धोई लीनी-२, तब हरी नाव चलाई, भजमन
भजमन भजमन राम चरण सुखदाई-२
 
सो ई चरण संतन जन सेवत, सदा रहत सुखदाई-२
सो ई चरन गौतमऋषि-नारी-२, परसि परमपद पाई, भजमन
भजमन भजमन राम चरण सुखदाई-२

 

दंडक बन प्रभु पावन कीन्हो, ऋषियन त्रास मिटाई-२
सो ई प्रभु त्रिलोकके स्वामी-२ कनक मृगा सँग धाई, भजमन
भजमन भजमन राम चरण सुखदाई-२

 

कपि  सुग्रीव बंधु भय-ब्याकुल, तिन जय छत्र फिराई-२
रिपु को अनुज, बिभीषन निसिचर-२, परसत लंका पाई, भजमन
भजमन भजमन राम चरण सुखदाई-२

 

शिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक, सेष सहस मुख गाई-२
तुलसीदास मारुत-सुतकी प्रभु-२, निज मुख करत बड़ाई, भजमन
भजमन भजमन राम चरण सुखदाई-२
राम चरण सुखदाई भजमन - भजमन
भजमन भजमन राम चरण सुखदाई
राम चरण सुखदाई-२
 

राम नाम आधार जिन्हें वो, जिन पर कृपा राम करे

राम नाम आधार जिन्हें
राम नाम आधार जिन्हे, वो जल में राह बनाते हैं
जिन पर कृपा राम करे, वो पत्थर भी तिर जाते हैं

लक्ष्य रामजी, सिद्धि रामजी, (राम ही राह बनाई-२)
राम कर्म हैं, राम ही कर्ता, (राम कि सकल बड़ाई-२)
राम काम करने वालों में राम की शक्ति समाई
पृथक पृथक नामों से सारे काम करें रघुराई
भक्त परायण निज भक्तो को, सारा श्रेय दिलाते है
जिन पर कृपा राम करे, वो पत्थर भी तिर जाते हैं

घट घट बसके, आप ही अपना, (नाम रटा देते हैं-२)

हर कारज में, निज भक्तो का, (हाथ बटा देते है-२)
बाधाओं के सारे पत्थर, राम हटा देते है
अपने ऊपर लेकर उनका, भार घटा देते है
पत्थर क्या प्रभु तीन लोक का
पत्थर क्या प्रभु तीन लोक का सारा भार उठाते हैं
जिन पर कृपा राम करें वो पत्थर भी तिर जाते हैं
जिन पर कृपा राम करें वो पत्थर भी तिर जाते हैं (ओ ओ ओ)
जिन पर कृपा राम करें वो पत्थर भी तिर जाते हैं
जिन पर कृपा राम करें वो पत्थर भी तिर जाते हैं (ओ ओ ओ)

 


अमृत है हरी नाम जगत में

अमृत है हरी नाम जगत में
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
 
काल सदा अपने रस डोले
ना जाने कब सिर चढ़ बोले
काल सदा अपने रस डोले
ना जाने कब सिर चढ़ बोले
हरी का नाम जपो निसवासर
हरी का नाम जपो निसवासर
इसमें अब बरस महीना क्या 
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
तीरथ है हरी नाम तुम्हारा
फिर क्यूँ फिरता मारा मारा
तीरथ है हरी नाम तुम्हारा
फिर क्यूँ फिरता मारा मारा
तीरथ है हरी नाम तुम्हारा
फिर क्यूँ फिरता मारा मारा
अंत समय हरी नाम ना आवे
अंत समय हरी नाम ना आवे
तो काशी और मदीना क्या
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
 
भूषन से सब अंग सजावे
रसना पर हरी नाम ना आवे
भूषन से सब अंग सजावे
रसना पर हरी नाम ना लावे
हाँ भूषन से सब अंग सजावे
रसना पर प्रभु नाम ना लावे
भूषन से सब अंग सजावे
रसना पर हरी नाम ना लावे
देह पड़ी रह जाये यहीं पर
देह पड़ी रह जाये यहीं पर
प्यारे देह पड़ी रह जाये यहीं पर
देह पड़ी रह जाये यहीं पर
तो फिर कुंडल और नगीना क्या
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में
अमृत है हरी नाम जगत में
अरे अमृत है प्रभु नाम जगत में
अमृत है हरी नाम जगत में
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
प्रभु नाम नहीं तो जीना क्या













Tuesday, August 9, 2022

यही रात अंतिम यही रात भारी

 यही रात अंतिम यही रात भारी

बस एक रात की अब कहानी है सारी,
यही रात अंतिम यही रात भारी

नहीं बन्धु बांधव  कोई सहायक,
अकेला है लंका में लंका का नायक,
सभी रत्न बहुमूल्य रण में गंवाए,
लगे घाव ऐसे की भर भी  पाए
दशानन इसी सोच में जागता है,
कि जो हो रहा उसका परिणाम क्या है
ये बाज़ी अभी तक  जीती ना हारी
यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..

हो भगवान मानव तो समझेगा इतना
कि मानव के जीवन में संघर्ष कितना ,
विजय अंततः धर्म वीरों की होती
पर इतना सहज भी नहीं है ये मोती
बहुत हो चुकि युद्ध में व्यर्थ हानि
पहुँच जाये परिणाम तक अब ये कहानी ..
वचन पूर्ण हो देवता हों सुखारी
यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..

समर में सदा एक ही पक्ष जीता
जयी
 होगी मंदोदरी या कि सीता ..
किसी
 मांग से उसकी लाली मिटेगी
कोई
 एक ही कल सुहागन रहेगी ..
भला
 धर्मं से पाप कब तक लड़ेगा
या
 झुकना पड़ेगा या मिटना पड़ेगा ..
विचारों
 में मंदोदरी है बेचारी
यही
 रात अंतिम .. यही रात भारी ..

ये एक रात मानो युगों से बड़ी है
ये सीता के धीरज कि अंतिम कड़ी है ..
प्रतीक्षा का विष और कितना पिएगी
बिना प्राण के देह कैसे जियेगी ..
कहे राम रोम अब तो राम  भी जाओ
दिखाओ दरस अब  इतना रुलाओ ..
कि रो रो के मर जाए सीता तुम्हारी
यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..