Thursday, May 12, 2016

मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल, मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल

मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल, मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल
भैया भैया कह के भैया भैया कह के, रस प्राणों में घोल
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल................................................

इस धरती पर और ना होगा, मुझ जैसा हतभागा
मेरे रहते बाण शक्ति का, तेरे तन में लागा
जा नहीं सकता तोड़ के एसे, मुझसे नेह का धागा
में भी अपने प्रण तजूँगा, आज जो तू नहीं जागा
अंखियो के तारे, अंखियो के तारे लल्ला, अंखिया तो खोल
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल, मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल

बीती जाये रेन पवनसुत, क्यों अब तक नहीं  आये
बुझता जाये आस का दीपक, मनवा धीर गवाए
सूर्य निकलकर सूर्य वंश का, सूर्य डुबो ना जाये
बिना बुलाये बोलने वाले, बोले नहीं बुलाये
चुप चुप रहके, चुप चुप रहके मेरा, धीरज ना तोल
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल, मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल
भैया भैया कह के भैया भैया कह के, रस प्राणों में घोल
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल, मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल................................................

17 comments:

  1. Bhut hi sundar bhajan😍
    Jai shree ram🙏

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  2. Very nice man Ko chune wala bhajan hai
    Jai Shree Ram

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  3. बहुत ही प्रशंसनीय भजन
    जय श्री राम🙏🙏

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  4. अति सुंदर करुणा रस से भरा भाव विभोर कर देने वाला भजन शरस्टांग प्रणाम

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  5. जय जय श्री राम

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  6. 2nd paragraph ki first line me kyon nahi hai

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  7. धन्यवाद् जय श्री राम

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