ना जाने कोन से गुण पर (ये) दयानिधि रीझ जाते हैं-4
नही स्वीकार करते हैं, निमन्त्रण नृप सुयोधन का-4निमन्त्रण नृप सुयोधन का, विदुर के घर, विदुर के घर
विदुर के घर, पहुँचर भोग, छिलकों का लगाते हैं-4
ना जाने कोन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं-4
ना आये मधुपुरी से गो, पियों की, दुख व्यथा सुनकर-4
गोपियों की दुख व्यथा सुनकर, अर द्रुपद जाकी (द्रोपदी) द्रुपद जाकी
द्रुपद जाकी दशा पर द्वारिका से, दौड़ आते हैं-2
ना जाने कोन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं-4
ना रोये वन गमन में श्री, पिता की वेदनाओं पर-4
पिता की वेदनाओं पर, उठाकर गिद्ध को निज गोद
उठाकर गिद्ध को निज गोद, में आंसू बहाते हैं-2
ना जाने कोन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं-4
कठिनता से चरण धोकर, मिले कुछ बिंदु हर हर को-2
कठिनता से चरण धोकर, मिले कुछ बिंदु बिधि हर को-2
मिले कुछ बिंदु बिधि हर को, (लेकिन आज) वो चरणों तक
वो चरणों तक, स्वयम केवट के घर, जाकर लुटाते हैं-2
ना जाने कोन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं-4