Friday, March 26, 2021

ना जाने कोन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं

ना जाने कोन से गुण पर (ये) दयानिधि रीझ जाते हैं-4

नही स्वीकार करते हैं, निमन्त्रण नृप सुयोधन का-4
निमन्त्रण नृप सुयोधन का, विदुर के घर, विदुर के घर
विदुर के घर, पहुँचर भोग, छिलकों का लगाते हैं-4
ना जाने कोन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं-4
ना आये मधुपुरी से गो, पियों की, दुख व्यथा सुनकर-4
गोपियों की दुख व्यथा सुनकर, अर द्रुपद जाकी (द्रोपदी) द्रुपद जाकी
द्रुपद जाकी दशा पर द्वारिका से, दौड़ आते हैं-2
ना जाने कोन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं-4
ना रोये वन गमन में श्री, पिता की वेदनाओं पर-4
पिता की वेदनाओं पर, उठाकर गिद्ध को निज गोद
उठाकर गिद्ध को निज गोद, में आंसू बहाते हैं-2
ना जाने कोन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं-4
कठिनता से चरण धोकर, मिले कुछ बिंदु हर हर को-2
कठिनता से चरण धोकर, मिले कुछ बिंदु बिधि हर को-2
मिले कुछ बिंदु बिधि हर को, (लेकिन आज) वो चरणों तक
वो चरणों तक, स्वयम केवट के घर, जाकर लुटाते हैं-2
ना जाने कोन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं-4






Thursday, February 11, 2021

सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आये हैं

सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आये हैं-2

अवध में राम आये हैं, मेरे सरकार आये हैं -2

मेरे सरकार आये हैं

लगे कुटिया भी दुल्हन सी-2 अवध में राम आये हैं

सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आये हैं

पखारो इनके चरणों को, बहाकर प्रेम की गंगा-2

बहाकर प्रेम की गंगा

बिछा दो अपनी पलकों को-2 अवध में राम आये हैं

सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आये हैं

तेरी आहट से हे वाकिफ, नहीं चेहरे की हे दरकार-2

बिना देखे ही कह देंगे,लो आ गये हैं मेरे सरकार-2

लो आ गये हैं मेरे सरकार

दुवाओं का हुआ है असर-2 अवध में राम आये हैं

सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आये हैं

अवध में राम आये हैं, मेरे सरकार आये हैं -2

मेरे सरकार आये हैं

लगे कुटिया भी दुल्हन सी-2 अवध में राम आये हैं

सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आये हैं

 

 

 

 

सरकार आ गए हैं मेरे गरीब खाने में

आया है दिल को सुकून उनके करीब आने में

मुददत से प्यासी अंखियों को मिला आज वो सागर

भटका था जिनको पाने के खातिर इस ज़माने में

उमड़ आई मेरी आँखे, देखकर अपने बाबा को-2

देखकर अपने बाबा को

हुई रोशन मेरी गलियां-2 मेरे सरकार आये हैं

सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आये हैं

तुम आकर फिर नहीं जाना, मेरी इस छोटी दुनिया से-2

कहूं हरदम यही सब से,-2 मेरे सरकार आये हैं

सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आये हैं

लगे कुटिया भी दुल्हन सी-2 अवध में राम आये हैं

सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आये हैं